आखिर क्यों पूजा के लिए जरूरी है सिंदूर, रोली या कुमकुम?
सिंदूर, रोली या कुमकुम…इनके बिना ना तो महिलाओं का श्रृंगार पूरा होता है और ना ही कोई हिंदू धर्म की पूजा, सिंदूर शादी का गहना ही नहीं बल्कि सुहागिनों का अभिमान होता है।
लेकिन इसको लगाने के पीछे और भी बहुत सारे कारण है, आईये जानते हैं इस बारे में विस्तार से…
‘कुमकुम’ , ‘रोली’ या ‘सिंदूर’ को मां लक्ष्मी का प्रमुख श्रृंगार मानते हैं इस कारण दिवाली पर घर के मुख्य दरवाजे पर ‘कुमकुम’ , ‘रोली’ या ‘सिंदूर’ से मां के पैर बनाते हैं। ‘कुमकुम’ मां दुर्गा का भी प्रिय श्रृंगार है, इसे शक्ति का भी मानक कहते हैं, इस कारण बिना इसके नवरात्र की पूजा नहीं होती। कहते हैं ‘कुमकुम’ यानी सिंदूर से हनुमान जी ने अपने आपको रंग लिया था इस कारण ‘कुमकुम’ से हम भगवान हनुमान जी की कृपा पा सकते हैं।
‘कुमकुम’ के बिना नई दुल्हन का आगमन नहीं होता है इस कारण जब नई दुल्हन घर आती है तो उसे ‘कुमकुम’ मिले पानी में पैर भिगोकर आना होता है। ‘कुमकुम’ एक विवाहिता के लिए सौभाग्य का मानक है इसलिए कोई ब्याहता बिना ‘कुमकुम’ के घर से बाहर नहीं निकलती है। सरसों के तेल में ‘कुमकुम’ भिगोकर दरवाजे पर लगाने से घर-परिवार वालों पर बुरी दृष्टि नहीं पड़ती है।
लेकिन इसको लगाने के पीछे और भी बहुत सारे कारण है, आईये जानते हैं इस बारे में विस्तार से…
‘कुमकुम’ , ‘रोली’ या ‘सिंदूर’ को मां लक्ष्मी का प्रमुख श्रृंगार मानते हैं इस कारण दिवाली पर घर के मुख्य दरवाजे पर ‘कुमकुम’ , ‘रोली’ या ‘सिंदूर’ से मां के पैर बनाते हैं। ‘कुमकुम’ मां दुर्गा का भी प्रिय श्रृंगार है, इसे शक्ति का भी मानक कहते हैं, इस कारण बिना इसके नवरात्र की पूजा नहीं होती। कहते हैं ‘कुमकुम’ यानी सिंदूर से हनुमान जी ने अपने आपको रंग लिया था इस कारण ‘कुमकुम’ से हम भगवान हनुमान जी की कृपा पा सकते हैं।
‘कुमकुम’ के बिना नई दुल्हन का आगमन नहीं होता है इस कारण जब नई दुल्हन घर आती है तो उसे ‘कुमकुम’ मिले पानी में पैर भिगोकर आना होता है। ‘कुमकुम’ एक विवाहिता के लिए सौभाग्य का मानक है इसलिए कोई ब्याहता बिना ‘कुमकुम’ के घर से बाहर नहीं निकलती है। सरसों के तेल में ‘कुमकुम’ भिगोकर दरवाजे पर लगाने से घर-परिवार वालों पर बुरी दृष्टि नहीं पड़ती है।
All Categories
Recent Posts
Drolia Chemicals
Joy Of Celebration
+0123 (456) 7899
contact@example.com